संगठन ने विश्वविद्यालय में अनशन कर रहे छात्रों के संघर्ष में कदम से कदम मिलाकर चलने का वादा किया। संगठन के नेताओं ने कहा कि अनशनरत छात्रों की अनदेखी विश्वविद्यालय और मंत्रालय की निर्ममता का नमूना है। नेताओं ने कहा कि देश के कई विश्वविद्यालयों को वहां के कुलपति अपनी जागीर बनाए हुए है, जिसके चलते छात्रों में आक्रोश है। माखनलाल विश्वविद्यालय की ही तरह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्ीय हिंदी विश्वविद्यालय में भी कुलपति ने मनमाने तरीके से वहां के योग्य प्रोफेसर अनिल चमड़िया को हटाया था। कुलपतियों की इस तरह की तानाशाही का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। संगठन ने मंत्रालय से मांग की कि विश्वविद्यालयों में किसी भी पद पर नियुक्ति या हटाए जाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। कुलपतियों के मनमाने हस्तक्षेप पर अंकुश लगाया जाना चाहिए और विश्वविद्यालयों को उनके चंगुल से मुक्त कराया जाना चाहिए।
द्वारा जारी -विवेक मिश्रा, दीपक राव, प्रवीण मालवीय, प्रकाश, मुकेश चौरासे, राजलक्ष्मी शर्मा, उपेन्द्र, राजीव यादव, शाहनवाज आलम, शाह आलम, विजय प्रताप, ऋषि कुमार सिंह, अवनीश राय, अरुण उरांव, देवाशीष प्रसून, दिलीप, शीत मिश्रा, प्रबुद्ध गौतम, श्वेता सिंह, राकेश, गुफरान, अली और अन्य सदस्य।
जर्नलिस्ट्स यूनियन फॉर सिविल सोसायटी, मध्य प्रदेश ईकाइ
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