14 दिसंबर 2009

वर्द्धा में भूख हड़ताल जारी, कुलपति वीएन राय बेफिक्र


उनकी सारी भावनाएं मर चुकी हैं। वे मानवताविरोधी हैं। दलित विरोधी हैं। वे कुछ भी कर सकते हैं, वास्तव में वे सत्ता के प्रतिनिधि प्रतीक हैं। मौजूदा व्यवस्था उन्‍हें ऐसा करने को प्रेरित करती है। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के सत्ताधीशों का दोहरा चरित्र उजागर हो चुका है। प्रगतिशीलता का जो लबादा ओढे़ रखा था, वह तार-तार हो चुका है। वे चाहे कुलपति वीएन राय हों या कुलाधिपति नामवर सिंह। राहुल कांबले मसले ने उनके अंदर बैठे दलित विरोधी व्यक्तित्व को उजागर कर दिया है।

गौरतलब है कि ब्राह्मणवादी व्यवस्था से परेशान दलित छात्र आठ दिसंबर से आमरण अनशन पर बैठे हैं। नौ दिसंबर को हिंदी विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह मनाया जाता है। समारोह में उपस्थित यूजीसी के चेयरमैन सुखदेव थोराट को दलित उत्पीड़न एवं आमरण अनशन की भनक लगती है, तो वे तुरंत आंदोलनकारी छात्रों से मिलते हैं और विश्वविद्यालय प्रशासन से बात करने का आश्वासन देते हैं। दूसरी ओर नामवर सिंह जो अपने कंधों पर हिंदी आलोचना जगत का भार ढोते दिखाई पड़ते हैं, उनकी सामंती सोच का अंदाज़ा छात्र प्रतिनिधि मंडल के द्वारा बातचीत से लगाया जा सकता है। यह दल एक पखवारे पहले राहुल कांबले मसले पर उनसे भेंट करता है। वे कहते हैं कि दलित उत्पीड़न की घटनाएं आपके अंबेडकर युनिवर्सिटियों या दलित संस्थानों में हो सकती हैं, पर यह गांधी की संस्था में संभव नहीं।

ये वही नामवर सिंह हैं, जो सत्ता के गलियारे में जातिगत आधार पर अकादमिक मलाई खाते रहे हैं। चंद्रशेखर, जसवंत सिंह, भैरोसिंह शेखावत और अर्जुन सिंह से उनकी नज़दीकियां जग-जाहिर हैं। उम्र के इस पड़ाव में लिखने-पढ़ने की आदत छूट गयी है। सत्ता को नाराज़ नहीं करना चाहते हैं, इसलिए धृतराष्ट्र की भूमिका में हैं। अपने मज़बूत राजनीतिक संबंधों का बेजा प्रयोग कर के दोषियों को बचा रहे हैं। हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति वीएन राय कोई भी बात समझने को तैयार नहीं। आंदोलन को पुलिसिया तरीके से हैंडल करना चाहते हैं। कुछ दिनों पहले विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में कहा था कि दमन सत्ता का मूल चरित्र है, कहीं-कहीं यह थोडा़-बहुत जायज़ होता है। पिछले चार दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों से मिलना उन्‍हें गवारा नहीं। सूत्रों से पता चला है कि वे किसी भी कीमत पर आंदोलनकारियों की बात नही मानेंगे। वर्धा अंडर ट्रेनिंग पुलिस अधीक्षक अविनाश कुमार वीएन राय के मित्र हैं। आंदोलन को कुचलने के लिए ग्‍यारह दिसंबर को दल-बल के साथ विश्वविद्यालय परिसर में आ धमकते हैं। आंदोलनकारी छात्रों को आंदोलन समाप्त करने के लिए डराते-धमकाते हैं। पूरे मामले के प्रति कुलपति की उदासीनता उनके मूल व्यक्तित्व को उजागर करती है।

वर्धा मेल

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

ऐसे लोगो को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर देना चाहिए और मामले की उच्चस्तरीय जाच करवानी चाहिए. इन लोगों का बौद्धिक जगत में बहिष्कार होना चाहिए

अपना समय